भक्ति बेकरार है आनंद अपार है – Jain Aarti

भक्ति बेकरार है आनंद अपार है, आजा प्रभु पारस तेरा, जय जय जय जय कार है !

मंगल आरती लेकर स्वामी, आया तेरे द्वार जी,
दर्शन देना पार्श्वप्रभु जी, होवे आतम ज्ञान जी, भक्ति बेकरार है….

चंदा देखे, सूरज देखे और देखे तारागन जी,
तुम सम ज्ञान ज्योति ना देखे, हे पारस परमेश जी..भक्ति बेकरार है….

देव सभी दुनिया में देखे, देखे देश विदेश जी,
तुम सम सच्चा देव ना देखा, हे पारस परमेश जी…भक्ति बेकरार है….

यह तन मेरा एक दिन चेतन मिटटी में मिल जाएगा,
अर्पण करदू पारस चरण में, तू पारस बन जाएगा…भक्ति बेकरार है….

पारस प्रभु का द्वार है, भक्ति से भवपार है…
पटेरिया जी में जिन मंदिर की महिमा अपरम्पार है….भक्ति बेकरार है… 

Note

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