पंच बालयति तीर्थंकर पूजा – Panch Baalyati Tirthankar Pooja

siddha puja bhasha

Panch Baalyati Tirthankar Pooja Lyrics (दोहा) श्री जिन पंच अनंग-जित, वासुपूज्य मल्लि नेम | पारसनाथ सु वीर अति, पूजूँ चित-धरि प्रेम || ओं ह्रीं श्री पंचबालयति-तीर्थंकरा: अत्र अवतर अवतर संवौषट्! (आह्वाननम्) ओं ह्रीं श्री पंचबालयति-तीर्थंकरा: अत्र तिष्ट तिष्ट ठ: ठ:! (स्थापनम्) ओं ह्रीं श्री पंचबालयति-तीर्थंकरा: अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्! (सन्निधिकरणम्) अथाष्टक शुचि शीतल … Read more

Nirvan Kshetra Pooja – निर्वाण क्षेत्र पूजा

nirvan kand

(कविवर ज्ञानतराय जी) परमपूज्य चौबीस, जिहँ जिहँ थानक शिव गये| सिद्धभूमि निशदीस, मन-वच-काय पूजा करों| ॐ ह्रीं श्रीचतुर्विंशति तीर्थंकर निर्वाणक्षेत्रा:! अत्र अवतर अवतर संवौषट आह्वाह्न्म | ॐ ह्रीं श्रीचतुर्विंशति तीर्थंकर निर्वाणक्षेत्रा:! अत्र तिष्ठ: ठ: ठ: स्थापनम| ॐ ह्रीं श्रीचतुर्विंशति तीर्थंकर निर्वाणक्षेत्रा:! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट सन्निधिकरणम| शुचि छीर दधि सम नीर निर्मल, कनकझारी … Read more

जैन सप्तर्षि पूजा – Saptarishi Pooja

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

कवि श्री मनरंगलाल (छप्पय छन्द) प्रथम नाम श्रीमन्व दुतिय स्वरमन्व ऋषीश्वर | तीसर मुनि श्रीनिचय सर्वसुन्दर चौथो वर || पंचम श्रीजयवान विनयलालस षष्ठम भनि | सप्तम जयमित्राख्य सर्व चारित्र-धाम गनि || ये सातों चारण-ऋद्धि-धर, करूँ तास पद थापना | मैं पूजूँ मन-वचन-काय कर, जो सुख चाहूँ आपना || ॐ ह्रीं श्री चारणऋद्धिधर-श्रीसप्तऋषीश्वरा:! अत्र अवतर अवतर … Read more

भक्तामर स्तोत्र की महिमा || BHAKTAMAR MAHIMA ||

Samuchchay Puja

पं. हीरालाल जैन ‘कौशल’ श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः। भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई॥ जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे। उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई ॥ सब ॥१॥ मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था। मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई ॥ सब ॥२॥ … Read more

श्रावक प्रतिक्रमण – Shravak Pratikraman

Samuchchay Puja

दव्वे खेत्ते काले भावे य कयावराहसोहणयं। जिंदणगरहणजुत्तो मणवककायेण पडिक्कमणं।। गाथार्थ – निन्दा और गहपूर्वक मन-वचन-काय के द्वारा द्रव्य, – क्षेत्र, काल और भाव के विषय में किए गए अपराधों का शोधन करना प्रतिक्रमण है। जीवे प्रमाद – जनिताः प्रचुराः प्रदोषाः, यस्मात्प्रतिक्रमणतः प्रलयं प्रयान्ति। तस्मात्तदर्थ – ममलं गृहि – बोधनार्थं, वक्ष्ये विचित्र – भव- कर्म- विशोधनार्थम् … Read more

समाधीमरण पाठ (लघु) – Samadhi Maran Path

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

गौतम स्वामी वन्दों नामी मरण समाधि भला है। मैं कब पाऊँ निशदिन ध्याऊँ गाऊँ वचन कला है॥ देव-धर्म-गुरु प्रीति महादृढ़ सप्त व्यसन नहिं जाने। त्यागे बाइस अभक्ष्य संयमी बारह व्रत नित ठाने॥१॥ चक्की उखरी चूलि बुहारी पानी त्रस न विराधे। बनिज करै परद्रव्य हरे नहिं छहों करम इमि साधे॥ पूजा शा गुरुन की सेवा संयम … Read more

श्री महावीर स्वामी जी जिन पूजा – Shree Mahaveer Swami Jin Pooja

Mahaveer Bhagwan pooja

कविश्री वृन्दावनदास (मत्त-गयंद छन्द) श्रीमत वीर हरें भव-पीर, भरें सुख-सीर अनाकुलताई | केहरि-अंक अरीकर-दंक, नयें हरि-पंकति-मौलि सुहाई || मैं तुमको इत थापत हूं प्रभु! भक्ति-समेत हिये हरषाई | हे करुणा-धन-धारक देव! इहाँ अब तिष्ठहु शीघ्रहि आई || ॐ ह्रीं श्रीवर्द्धमानजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीवर्द्धमानजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति … Read more

श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा (बख्तावर सिंह)- SHRI PARSHWANATH JIN POOJA

Parasnath Bhagwan

कवि श्री बख्तावरसिंह (गीता छन्द) वर स्वर्ग प्राणत सों विहाय सुमात वामा-सुत भये| अश्वसेन के पारस जिनेश्वर चरन जिनके सुर नये|| नव-हाथ-उन्नत तन विराजे उरग-लच्छन अति लसें| थापूँ तुम्हें जिन आय तिष्ठो! करम मेरे सब नसें|| ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति स्थापनम्) … Read more

श्री नेमिनाथ जी जिन पूजा – Shree Neminath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेमकी, धर्म औतार दातार श्यौचैनकी| श्री शिवानंद भौफंद निकन्द, ध्यावें जिन्हें इन्द्र नागेन्द्र ओ मैनकी|| परमकल्यान के देनहारे तुम्हीं, देव हो एव तातें करौं एनकी| थापि हौं वार त्रै शुद्ध उच्चार के, शुद्धताधार भवपार कूं लेन की|| ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ … Read more

श्री नमिनाथ जी जिन पूजा – Shree Naminaath Jin Pooja

siddha puja bhasha

श्री नमिनाथ जिनेन्द्र नमौं विजयारथ नन्दन| विख्यादेवी मातु सहज सब पाप निकन्दन|| अपराजित तजि जये मिथिलापुर वर आनन्दन| तिन्हें सु थापौं यहाँ त्रिधा करि के पदवन्दन|| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| सुरनदी जल … Read more