श्री शान्तिनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Shantinath Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

ज्ञानोदय छंद शान्तिनाथ सोलम तीर्थंकर, पंचम चक्री पद त्यागी। कामदेव द्वादशवें प्रभु की पूजा करते बड़भागी॥ हस्तिनापुर ऐरा माता, विश्वसेन नृप तात रहे। पाँचों कल्याणक से मण्डित, शान्तिनाथ जिन आप रहे॥ पुष्पदन्त से धर्मनाथ के, बीच तीर्थ विच्छेद रहा। किन्तु शान्ति जिन तीर्थंकर से, अब तक तीर्थ अखेद लहा॥ ऐसे शान्ति प्रदाता जिनवर, भक्तों के … Read more

श्री धर्मनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Dharmnath Jin Pooja

siddha puja bhasha

भारत छन्द -सात भगण दो गुरु धर्म जिनेन्द्र नमो कर जोड़, सुमात प्रभा प्रभु गर्भ सुहाये। भानु पितांगण में सुर इन्दर, गर्भ सुमंगल गान सुनाये॥ काश्यप गोत्र सुवंश महाकुरु देव घनी धन वृष्टि कराये। रत्नपुरी तज दीक्षित धर्म, महाभगवन्त हृदै पधराये॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरधर्मनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः … Read more

श्री अनन्तनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Anantnath Jin Pooja

siddha puja bhasha

पुष्पमंजरी छन्द – रजरजर – गण तर्ज-देव आप दर्श से………….. सिंहसेन तात मात सूर्या पुत्र हो गये। हे अनन्तनाथ आप कर्म मुक्त हो गये॥ वीतराग वीतद्वेष आप वीतकाम हो। पूजने बुला रहे हृदै विराजमान हो॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । अत्र मम सन्निहितो … Read more

श्री वासुपूज्य जिनपूजा 2022 || New Shri Vasupujya Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

कुसुमलता छन्द महाशुक्र हरि विमान तजकर, जम्बूद्वीप भरत में आय। चम्पापुर वसुपूज्य भूप की रानी जया गर्भ सुखदाय॥ वासुपूज्य है नाम तुम्हारा, प्रथम बाल ब्रह्मचारी ईश। द्वादशवें तीर्थंकर जिनवर, मेरे हृदय बसो जगदीश॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरवासुपूज्यजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । अत्र मम सन्निहितो भव भव … Read more

श्री विमलनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Vimalnath Jin Pooja

Jinvani icon

रेवती छन्द विमल जिन बारवां दिवि तज, कम्पिला नगर में आये। मातु जयश्यामा कृतधर्मा, पिता जिन बाल को पाये॥ जगत आनन्द में डूबा, खुशी के गीत सब गाये। बने सर्वज्ञ तीर्थंकर, पूजने हम हृदय लाये ओं ह्रीं तीर्थंकरविमलनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । अत्र मम सन्निहितो भव … Read more

श्री श्रेयांसनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Shrayanshnath Jin Pooja

Samuchchay Puja

वसंततिलका छंद – तभजज गण दो गुरु श्रेयांस नाथ जिन सिद्ध विशुद्ध स्वामी, आओ मदीय उर में जिनराज नामी। पूजूँ तुम्हें विनय से उर में बिठा के, जाके वसूँ विभव मोक्ष निजात्म ध्याके ॥ ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रेयांसजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। अत्र मम सन्निहितो भव भव … Read more

श्री शीतलनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri SheetalNath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

विद्यार्चना छंद -लय- गुरु विद्यासागर के चरणों में.. विदिशा नगरी भद्दलपुर में, आरण दिवि से अवतार लिया। श्रीमात सुनन्दा पितु दृढ़रथ ने, जिन्हें हृदय से प्यार किया| ऐसे हे शीतलनाथ प्रभो!, तुम दश धर्मों से पार हुये । हम भी दुखसागर पार करें, इस हेतु करें अवतार हिये ॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरशीतलनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर … Read more

श्री पुष्पदन्त जिन पूजा 2022 || New Shri Pushpdant Jin Pooja

siddha puja bhasha

लय- लावनी- नर होनहार होतव्य न तिल भर टरती…… जिन पुष्पदन्त भगवन्त, अन्त किया भव का। हे सुविधिनाथ अब अन्त करो, मम भव का॥ हम   पाप   नाशने, तेरे   दर   पर  आये। शाश्वत सुख  दीजे, द्रव्य  सजा  कर  लाये॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरपुष्पदंतजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। अत्र मम … Read more

श्री चन्द्रप्रभ जिन पूजा 2022 || New Shri Chandra Prabha Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

ज्ञानोदय महासेन सुत! अष्टम जिनवर, वीतराग तीर्थंकर हो। माँ सुलक्षणा लाल चन्द्रप्रभ! करुणाकर क्षेमंकर हो॥ शत इन्द्रों से वंदित प्रभुवर, समवसरण में राजित हो। द्वादश गण नक्षत्र मध्य में, चन्द्र समान विराजित हो॥ चन्द्रप्रभा सम कान्तिमान् हो, जग में अतिशय सुन्दर हो। आधि व्याधि से रहित चन्द्रप्रभु, परम स्वास्थ्य के मन्दिर हो॥ चन्द्रोदय में पूर्ण … Read more

श्री सुपार्श्वनाथ जिन पूजा 2022 || New Shri Suparshwanath Jin Pooja

Jinvani icon

ज्ञानोदय छन्द सप्तम तीर्थंकर सुपार्श्व जिन, मध्यम ग्रीवक से आये । सुप्रतिष्ठ नृप पृथिवीसेना, नगर बनारस हरषाये ऐसे वीतराग जिनवर की पूजन करने हम आये । मेरे उर के सिंहासन पर, आप विराजो मन भाये ॥ ओं ह्रीं तीर्थंकरसुपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । अत्र मम सन्निहितो … Read more