Jain Muni Tarun Sagar Ji Maharaj

मुनि तरुण सागर जी महाराज का जीवन और उनके विचार प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। उनका जन्म 26 जून 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के गुहंजी गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम पवन कुमार जैन था। बचपन से ही उनके मन में अध्यात्म और धर्म के प्रति गहरी रुचि थी।

जन्म नामश्री पवन कुमार जैन
जन्म26/06/1967, Guhanchi Madhya Pradesh India
पिताश्री प्रताप चंद्र जैन
माताश्री शांति बाई जैन
शिक्षामिडल स्कूल
ब्रह्मचर्य व्रत08/03/1981
क्षुल्लक दीक्षा18/01/1982 Akaltara Chhattisgarh India
ऐलक दीक्षा01/12/0000 Gondia Maharashtra India
मुनि दीक्षा20/07/1988 Bagidora, Rajasthan
समाधि01/09/2018 कृष्णा नगर, नई दिल्ली, दिल्ली, भारत

दीक्षा और साधना

उन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में सन्यास लेने का निर्णय लिया और 20 जुलाई 1988 को आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज के सान्निध्य में दीक्षा ली। इसके बाद वे “तरुण सागर” के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जीवन त्याग, तपस्या और अहिंसा के मार्ग पर आधारित था। वे अपनी कठोर साधना, सरल जीवनशैली और स्पष्ट वक्तव्य के लिए जाने जाते थे।

कड़वे प्रवचन

तरुण सागर जी महाराज के “कड़वे प्रवचन” उनकी पहचान बन गए। उन्होंने समाज में प्रचलित कुरीतियों, भ्रष्टाचार और नैतिक पतन पर सीधा और स्पष्ट दृष्टिकोण रखा। उनके प्रवचनों में जीवन को सुधारने और आत्मशुद्धि के लिए प्रेरणा मिलती थी। उन्होंने हमेशा धार्मिकता को आधुनिक समाज से जोड़ने का प्रयास किया।

समाज के प्रति योगदान

तरुण सागर जी महाराज ने जैन धर्म की शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने राजनीति, समाज और परिवार के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे, जिनमें राष्ट्रीय एकता, महिला सशक्तिकरण और नैतिक मूल्यों की स्थापना शामिल है। उनके विचार न केवल जैन समुदाय के लिए बल्कि सभी धर्मों और समाज के लिए मार्गदर्शन का काम करते थे।

देहावसान

जैन मुनि तरुण सागर ने शनिवार सुबह करीब 3 बजे पूर्वी 1 सितंबर 2018 को, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके देहावसान से न केवल जैन समाज बल्कि पूरे भारत ने एक महान संत को खो दिया। जैन मुनि तरुण सागर का अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में स्थित तरुणसागरम् में दोपहर 3 बजे के करीब किया गया। 

प्रेरणा का स्रोत

तरुण सागर जी महाराज का जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलकर किस तरह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती हैं।

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