Parasnath Bhagwan

श्री पारसनाथ स्तोत्रं संस्कृत – Shri Parasnath Stotra

पार्श्वनाथ स्तोत्र जैन धर्म के बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्रों में से एक है। इसकी रचना कविश्री द्यानतराय द्वारा की गई है। यह स्तोत्र भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में लिखा गया है, जो चौबीस जैन तीर्थंकरों में से तेईसवें तीर्थंकर माने जाते हैं। इस स्तोत्र में पार्श्वनाथ भगवान के चमत्कारिक गुणों, उनके प्रति श्रद्धा, और उनकी आराधना से मिलने वाले कल्याणकारी फलों का सुंदर वर्णन मिलता है।

पार्श्वनाथ स्तोत्र न सिर्फ व्यक्ति के मानसिक एवं आध्यात्मिक बल को मजबूत करता है, बल्कि इसे पढ़ने-सुनने से भय, रोग, दरिद्रता, और विभिन्न प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

Parasnath Stotra Sanskrit Lyrics

नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पुजै भजै नाय शीशं।
मुनीन्द्रं गणीन्द्रं नमे जोड़ि हाथं, नमो देव देवं सदा पार्श्वनाथं ॥१॥

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गजेन्द्रं मृगेन्द्रं गह्यो तू छुडावे, महा आगतै नागतै तू बचावे।
महावीरतै युद्ध में तू जितावे, महा रोगतै बंधतै तू छुडावे ॥२॥

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दुखी दुखहर्ता सुखी सुखकर्ता, सदा सेवको को महा नन्द भर्ता।
हरे यक्ष राक्षस भूतं पिशाचं, विषम डाकिनी विघ्न के भय अवाचं ॥३॥

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दरिद्रीन को द्रव्य के दान दीने, अपुत्रीन को तू भले पुत्र कीने।
महासंकटों से निकारे विधाता, सबे सम्पदा सर्व को देहि दाता ॥४॥

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महापोंन को वज्र को भय निवारे, महपौन को पुंजतै तू उबारे।
महाक्रोध की अग्नि को मेघधारा, महालोभ शैलेश को वज्र मारा ॥५॥

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महामोह अंधेर को ज्ञान भानं, महा कर्म कांतार को धौ प्रधानं।
किये नाग नागिन अधो लोक स्वामी, हरयो मान दैत्य को हो अकामी ॥६॥

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तुही कल्पवृक्षं तुही कामधेनं, तुही दिव्य चिंतामणि नाग एनं।
पशु नर्क के दुःखतै तू छुडावे, महास्वर्ग में मुक्ति में तू बसावे ॥७॥

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करे लोह को हेम पाषण नामी, रटे नाम सो क्यों ना हो मोक्षगामी।
करै सेव ताकी करै देव सेवा, सुने बैन सोही लहे ज्ञान मेवा ॥८॥

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जपै जाप ताको नहीं पाप लागे, धरे ध्यान ताके सबै दोष भागे।
बिना तोहि जाने धरे भव घनेरे, तुम्हारी कृपातै सरै काज मेरे ॥९॥

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दोहा
गणधर इंद्र न कर सके, तुम विनती भगवान।
द्यानत प्रीति निहार के, कीजे आप सामान ॥१०॥

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चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र का नित्य पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है। इसमें भगवान पार्श्वनाथ को दुखों का हर्ता, संकटों से उबारने वाले, और अपने भक्तों को इच्छित फल देने वाले बताया गया है। भक्त इस स्तोत्र का जप अपने घर में शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए करते हैं।

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी स्तोत्र, पुजाये, आरती आदि, Parshwanath stotra Sanskrit जिनवाणी संग्रह संस्करण 2022 के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है।

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