मेरे महावीर झूले पलना… Jain Bhajan

nirvan kand

मेरे महावीर झूले पलना, सन्मति वीर झूले पलना काहे को प्रभु को बनो रे पालना, काहे के लागे फुंदना रत्नों का पलना मोतियों के फुंदना, जगमग कर रहा अंगना ललना का मुख निरख के भूले, सूरज चाँद निकलना ॥१॥ मेरे महावीर झूले पलना… कौन प्रभु को पलना झुलावे, कौन सुमंगल गावे देवीयां आवें पलना झुलावे, … Read more

भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर…

Jainism flag jain dharm

तर्ज – चाँद सी महबूबा हो मेरी…  भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर, शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।। कर्म तुझमें नहीं राग तुझमें नहीं, ऐसा जिनवर ने बतलाया, तेरे दोषों से ही बंधन हैं, यह पूज्य गुरु ने फरमाया-२॥ अपने दोषों को दूर करें तो, जायें शाश्वत सुख … Read more

मैं क्या… मेरा अस्तित्व क्या – Jain Bhajan

suparshvnath bhagwan

Jain Bhajan मैं क्या.. मेरा अस्तित्व क्या.. गुरुवर तेरा ही… नाम लिया… तेरा आशीर्वाद हमें… मिलता सुबह और शाम रहा… मैं क्या… मेरा अस्तित्व क्या… गुरुवर तेरा ही नाम लिया… तेरी ही खुशबू है जीवन में… हम मुरझाये फूल हैं… सूरज चांद सितारे भी…  तेरे चरणों की धूल हैं… तीर्थ हो तुम चारों मेरे… आगम तेरे, आचरण … Read more

भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना – Jain Bhajan

bhagwan sumatinath

Jain Bhajan भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना हम दिन दुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल यह सोच दरस दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना अब तक तो निभाया… तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो … Read more

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में…Jain Bhajan

bhagwan munisubratnath

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में। बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए|| निज ज्ञान में बस ज्ञान है, ज्यों सूर्य रश्मि खान, उपयोग में उपयोग है, क्रोधादि से दरम्यान | इस भेद विज्ञान से, तुझे निर्णय करना है, अपनी अनुभूति में, दिव्य दर्शन हो जाए ।।(1) निज ज्ञान में पर … Read more

है सीमंधर भगवान शरण ली तेरी…Jain Bhajan

श्री वासुपूज्य चालीसा

हे ! सीमंधर भगवान शरण ली तेरी, बस ज्ञाता दृष्टा रहे परिणति मेरी ||टेक|| निज को बिन जाने नाथ फिरा भव वन में | सुख की आशा से झपटा उन विषयन में || ज्यों कफ में मक्खी बैठ पंख लिपटावे, तब तड़फ-तड़फ दुःख में ही प्राण गमावे || त्यों इन विषयन में मिली, दुखद भवफेरी … Read more

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया – Jain Bhajan

sudhasagar ji maharaj

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया, मिथ्याभ्रम का अन्धेरा विलय हो गया । दृष्टि एकान्त की ही बनी थी मेरी, और अनेकान्त से बेखबर मैं रहा स्याद्वादी सहज हो गया, ज्ञान में ज्ञान का ज्ञान अब हो गया ॥१॥ माना अपना उसे जो ना अपना हुआ, जो था अपना उसी से पराया रहा भेदविज्ञान अब हो … Read more

कैसी सुन्दर जिन प्रतिमा – Jain Bhajan

bhagwan neminath

तर्ज : चाँद सी महबूबा हो मेरे कब कैसी सुन्दर जिन प्रतिमा है, कैसा सुंदर है जिन रूप । जिसे देखते सहज दीखता, सबसे सुंदर आत्मस्वरुप ॥ नग्न दिगम्बर नहीं आडम्बर, स्वाभाविक है शांत स्वरुप । नहीं आयुध नहीं वस्त्राभूषण, नहीं संग नारी दुःख रूप ॥१॥ बिन श्रृंगार सहज ही सोहे, त्रिभुवन माहि अतिशय रूप … Read more

अपना करना हो कल्याण, साँचे गुरुवर को पहिचान…Jain Bhajan

jain bhajan

अपना करना हो कल्याण, साँचे गुरुवर को पहिचान। जिनकी वाणी में अमृत बरसता है ।। रहते शुद्धातम में लीन, जो है विषय-कषाय विहीन। जिनके ज्ञान में ज्ञायक झलकता है ।।1।। जिनकी वीतराग छवि प्यारी, मिथ्यातिमिर मिटावनहारी। जिनके चरणों में चक्री भी झुकता है ।।2।। पाकर ऐसे गुरु का संग, ध्यावो ज्ञायक रूप असंग।। निज के … Read more

रोम-रोम पुलकित हो जाय, जब जिनवर के दर्शन पाय…Jain Mandir

श्री पुष्पदन्त चालीसा pushpdant chalisa

रोम-रोम पुलकित हो जाय, जब जिनवर के दर्शन पाय। ज्ञानानन्द कलियाँ खिल जाँय, जब जिनवर के दर्शन पाय। जिनमन्दिर में श्री जिनराज, तनमन्दिर में चेतनराज। तन-चेतन को भिन्न-पिछान, जीवन सफल हुआ है आज ॥ वीतराग सर्वज्ञ देव प्रभु, आये हम तेरे दरबार। तेरे दर्शन से निज दर्शन, पाकर होवें भव से पार। मोह-महातम तुरत विलाय, … Read more