दसलक्षण पर्व – उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म🙏 Uttam Brahmcharya

Uttam Brahmcharya

Day 10: दसलक्षण पर्व – Uttam Brahmcharya Dharma 🙏🏼🌸 कामसेवन का मन से, वचन से तथा शरीर से परित्याग करके अपने आत्मा में रमना ब्रह्मचर्य है। संसार में समस्त वासनाओं में तीव्र और दुद्र्वर्ष कामवासना है। इसी कारण अन्य इन्द्रियों का दमन करना तो बहुत सरल है किन्तु कामवासना की साधन भूत काम इन्द्रिय का … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम आकिंचन्य धर्म🙏 Uttam Aakinchanya

Uttam Aakinchanya

Day 9: Uttam Aakinchanya Dharma🌸🙏 आत्मा के अपने गुणों के सिवाय जगत में अपनी अन्य कोई भी वस्तु नहीं है इस दृष्टि से आत्मा अकिंचन है। अकिंचन रूप आत्मा-परिणति को आकिंचन करते हैं। जीव संसार में मोहवश जगत के सब जड़ चेतन पदार्थों को अपनाता है, Uttam Kshama Quotes in Hindi दसलक्षण पर्व -उत्तम क्षमा … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम त्याग धर्म🙏 Uttam Tyag

Uttam Tyag dharma

आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मशुद्धि के उद्देश्य से विकार भाव छोड़ना राग द्वेष क्रोध मान आदि विकार भावों का आत्मा से छूट जाना ही त्याग है। Uttam Kshama Quotes in Hindi दसलक्षण पर्व -उत्तम क्षमा धर्म🙏 Uttam Kshama दसलक्षण पर्व -उत्तम मार्दव धर्म🙏 Uttam Mardav दसलक्षण पर्व -उत्तम आर्जव धर्म🙏 Uttam Aarjav दसलक्षण पर्व -उत्तम शोच … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम तप धर्म🙏 Uttam Tap

केवल शरीर को तपाना तप नहीं अपितु इच्छा का निरोध करना तप है। जिसप्रकार से राग-द्वेष-मोह रूप मैल भिन्न हो जाए तथा शुद्ध ज्ञान-दर्शनमय आत्मा भिन्न हो जाए, वह तप है। कर्मों का संवर तथा निर्जरा करने का प्रधान कारण तप है । तप ही आत्मा को कर्म मल रहित करता है। तप के प्रभाव … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम संयम धर्म🙏 uttam Sanyam

uttam sanyam dharma

स्पर्शन, रसना, घ्राण, नेत्र, कर्ण और मन पर नियंत्रण (दमन, कन्ट्रोल) करना इन्द्रिय-संयम है। पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय जीवों की रक्षा करना प्राणी संयम है इन दोनों संयमों में इन्द्रिय संयम मुख्य है क्योंकि इन्द्रिय संयम प्राणी संयम का कारण है, इन्द्रिय संयम होने पर भी प्राणी संयम होता हैं, बिना इन्द्रिय … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम सत्य धर्म🙏 Uttam Satya

uttam satya dharma

मनुष्य अनेक कारणों से असत्य बोला करता है, उनमें से एक तो झूठ बोलने का प्रधान कारण लोभ है। लोभ में आकर मनुष्य अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये असत्य बोला करता है। असत्य भाषण करने का दूसरा कारण भय है। मनुष्य को सत्य बोलने से जब अपने ऊपर कोई आपत्ति आती हुई दिखाई देती … Read more