🔥 उत्तम तप धर्म का अर्थ (Meaning):
“तप” का शाब्दिक अर्थ है – तपस्या करना, आत्मा को शुद्ध करना और इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना।
उत्तम तप धर्म का अभ्यास करने वाला व्यक्ति भोगों से दूर रहकर आत्मा की शुद्धि की ओर अग्रसर होता है।
केवल शरीर को तपाना तप नहीं अपितु इच्छा का निरोध करना तप है। जिसप्रकार से राग-द्वेष-मोह रूप मैल भिन्न हो जाए तथा शुद्ध ज्ञान-दर्शनमय आत्मा भिन्न हो जाए, वह तप है। कर्मों का संवर तथा निर्जरा करने का प्रधान कारण तप है ।
तप ही आत्मा को कर्म मल रहित करता है। तप के प्रभाव से यहाँ ही अनेक ऋद्धियाँ प्रकट हो जाती हैं, तप का अचिन्त्य प्रभाव है। तप बिना काम को, निद्रा को कौन मारे ? तप बिना इच्छाओं को कौन मारे? इंद्रियों के विषयों को मारने में तप ही समर्थ है। तप की साधना करनेवाला परिषह-उपसर्ग आदि आने पर भी रत्नत्रय धर्म से च्युत नहीं होता है। अतः तपधर्म को धारण करना ही उचित है। तप किये बिना संसार से छुटकारा नहीं होता है। चक्रवर्ती भी राज्य को छोड़कर तप धारण करके तीन लोक में वन्दन योग्य पूज्य हो जाते हैं। अतः तीन लोक में तप समान महान अन्य कुछ भी नहीं है।
✅ उत्तम तप धर्म के लाभ (Benefits):
- आत्मा की शुद्धि और विकास होता है।
- कर्मों की निर्जरा (कर्म क्षय) होती है।
- इच्छाओं और इन्द्रियों पर नियंत्रण बढ़ता है।
- आत्मबल, सहनशीलता और संयम की वृद्धि होती है।
- मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता मिलती है।
उत्तम तप धर्म आत्मा को साधना, संयम और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। दसलक्षण पर्व के दौरान इसका पालन करने से हम आत्मिक बल, धैर्य, और निर्मलता प्राप्त करते हैं, दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में प्रतिदिन एक-एक धर्म का अनुशीलन किया जाता है। उनमें से छठा धर्म है – “उत्तम तप धर्म”।
- Uttam Kshama Quotes in Hindi
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Note
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