Day 10: दसलक्षण पर्व – Uttam Brahmcharya Dharma 🙏🏼🌸
कामसेवन का मन से, वचन से तथा शरीर से परित्याग करके अपने आत्मा में रमना ब्रह्मचर्य है।
संसार में समस्त वासनाओं में तीव्र और दुद्र्वर्ष कामवासना है। इसी कारण अन्य इन्द्रियों का दमन करना तो बहुत सरल है किन्तु कामवासना की साधन भूत काम इन्द्रिय का वश में करना बहुत कठिन है। छोटे-छोटे जीव जन्तुओं से लेकर बड़े से बड़े जीव तक में विषयवासना स्वाभाविक (वैभाविक) रूप से पाई गई है। सिद्धांत ग्रन्थों ने भी मैथुन स्ंज्ञा एकेन्द्रिय जीवों में भी प्रतिपादन की है।
कामातुर जीव का मन अपने वश में नहीं रहता। उसकी विवेकशक्ति नष्ट-भ्रष्ट हो जाती है। पशु तो कामवासना के शिकार होकर माता, बहिन, पुत्री, स्त्री आदि का भेदभाव करते ही नहीं। सभी को समान समझ कर सबसे अपनी कामवासना तृप्त करते रहते हैं। इसी कारण उन्हें पशु (समान पश्यति इति पशु) कहते हैं। परंतु कामातुर मनुष्य भी कभी कभी पशु सा बन जाता है। कवि ने कहा है-
- Uttam Kshama Quotes in Hindi
- दसलक्षण पर्व -उत्तम क्षमा धर्म🙏 Uttam Kshama
- दसलक्षण पर्व -उत्तम मार्दव धर्म🙏 Uttam Mardav
- दसलक्षण पर्व -उत्तम आर्जव धर्म🙏 Uttam Aarjav
- दसलक्षण पर्व -उत्तम शोच धर्म🙏 Uttam shouch
- दसलक्षण पर्व – उत्तम सत्य धर्म🙏 Uttam Satya
- दसलक्षण पर्व – उत्तम संयम धर्म🙏 uttam Sanyam
- दसलक्षण – उत्तम तप धर्म🙏 Uttam Tap
- दसलक्षण पर्व – उत्तम त्याग धर्म🙏 Uttam Tyag
- दसलक्षण पर्व – उत्तम आकिंचन्य धर्म🙏 Uttam Aakinchanya