bhagwan mahaveer swami

प्रभु वीर ने मुक्ति का पथ दिखाया
पथ को हमने ही पंथ बनाया
पथ के ऊपर एक बिंदु लगाया
बिंदु में उलझे, सिंधु भुलाया

इस पंथवाद ने हमें कहाँ तक पहुँचाया
किससे जीते हम?
हमने किसे हराया? हमने किसे हराया?

रहें हम महावीर के ही बनकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं

रहें हम महावीर के ही बनकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं

ओ, लेकर पुण्य का ये सागर
जन्मे जैन कुल के अंदर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं
धरम से जैन हैं, करम से जैन हैं

संतों का, ग्रंथों का हमने सार नहीं जाना
अनेक मत बना दिए, अनेकांत नहीं जाना

जैन वाणी का मर्म ना जाना
क्रियाओं को ही है धर्म माना
ये संत तेरा, वो पंथ मेरा
दिलों में देखा है भेद गहरा
(दिलों में देखा है भेद गहरा)

ज्ञान एक है, एक है दर्शन
एक है झंडा, एक है आगम
सत्य-अहिंसा बीज हमारे
एक ही हैं नियम ये सारे
(एक ही हैं नियम ये सारे)

एक ही णमोकार तीर्थंकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं

रहें हम महावीर के ही बनकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं
धरम से जैन हैं, करम से जैन हैं

ॐ नमो अरिहंताणं
नमामि वीरम्, नमामि गौतम्
ॐ नमो सिद्धाणं
क्षमा वीरस्य भूषणम्

ॐ नमो आयरियाणं
अहिंसा परमोधरम
ॐ नमो उवज्झायाणं
जैन धरमोस्तु मंगलम्

नमो लोए सव्वसाहूणं
जैनम जयति शासनम्
(जैनम जयति शासनम्)

रहना शावक बनकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं

रहें हम महावीर के ही बनकर
ना श्वेतांबर, ना दिगंबर
हम जैन हैं, कहो हम जैन हैं
धरम से जैन हैं, करम से जैन हैं

*****

Note

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