भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना – Bhajan

Babhubali Bhagwan

भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना, अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।। हम दीन दुखी निर्बल, नित नाम रहे प्रतिपल, यह सोच दरश दोगे, प्रभु आज नही तो कल, जो बाग़ लगाया है, फूलों से सजा देना, भगवान मेरी नईया, उस पार लगा देना, अब तक तो निभाया है, आगे भी … Read more

कितना प्यारा तेरा द्वारा – Jain Bhajan

Shree Brahmeshwar Parshwanath Swarna Jain Mandir, chitoor

कितना प्यारा तेरा दुआरा, यही बिता दूं जीवन सारा तेरी दरश की लगन से, हमें आना पड़ेगा इस दर पर दोबारा। भव-भव के दुख हरने वाले, सबको सुख में करने वाले, गुण में तेरी धारा हमें….. दिनभर तेरी याद सताती, छवी तेरी दिल में आ जाती, तेरी अनुपम धारा, हमें….. रात-रात भर नींद न आती, … Read more

दुनिया से में हारी, तो आयी तेरे द्वार… Jain Bhajan

तर्ज – सावन का महीना… दुनिया से मैं हारी तो आई तेरे द्वार यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान (2) सुख में प्रभुवर तेरी याद ना आई दुख में प्रभुवर तुमसे प्रीत लगाई सारा दोष है मेरा 2, मैं करती हूं स्वीकार यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान दुनिया से मैं … … Read more

मेरे महावीर झूले पलना… Jain Bhajan

nirvan kand

मेरे महावीर झूले पलना, सन्मति वीर झूले पलना काहे को प्रभु को बनो रे पालना, काहे के लागे फुंदना रत्नों का पलना मोतियों के फुंदना, जगमग कर रहा अंगना ललना का मुख निरख के भूले, सूरज चाँद निकलना ॥१॥ मेरे महावीर झूले पलना… कौन प्रभु को पलना झुलावे, कौन सुमंगल गावे देवीयां आवें पलना झुलावे, … Read more

भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर…

Jainism flag jain dharm

तर्ज – चाँद सी महबूबा हो मेरी…  भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर, शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।। कर्म तुझमें नहीं राग तुझमें नहीं, ऐसा जिनवर ने बतलाया, तेरे दोषों से ही बंधन हैं, यह पूज्य गुरु ने फरमाया-२॥ अपने दोषों को दूर करें तो, जायें शाश्वत सुख … Read more

मैं क्या… मेरा अस्तित्व क्या – Jain Bhajan

suparshvnath bhagwan

Jain Bhajan मैं क्या.. मेरा अस्तित्व क्या.. गुरुवर तेरा ही… नाम लिया… तेरा आशीर्वाद हमें… मिलता सुबह और शाम रहा… मैं क्या… मेरा अस्तित्व क्या… गुरुवर तेरा ही नाम लिया… तेरी ही खुशबू है जीवन में… हम मुरझाये फूल हैं… सूरज चांद सितारे भी…  तेरे चरणों की धूल हैं… तीर्थ हो तुम चारों मेरे… आगम तेरे, आचरण … Read more

भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना – Jain Bhajan

bhagwan sumatinath

Jain Bhajan भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना हम दिन दुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल यह सोच दरस दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना अब तक तो निभाया… तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो … Read more

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में…Jain Bhajan

bhagwan munisubratnath

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में। बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए|| निज ज्ञान में बस ज्ञान है, ज्यों सूर्य रश्मि खान, उपयोग में उपयोग है, क्रोधादि से दरम्यान | इस भेद विज्ञान से, तुझे निर्णय करना है, अपनी अनुभूति में, दिव्य दर्शन हो जाए ।।(1) निज ज्ञान में पर … Read more

है सीमंधर भगवान शरण ली तेरी…Jain Bhajan

श्री वासुपूज्य चालीसा

हे ! सीमंधर भगवान शरण ली तेरी, बस ज्ञाता दृष्टा रहे परिणति मेरी ||टेक|| निज को बिन जाने नाथ फिरा भव वन में | सुख की आशा से झपटा उन विषयन में || ज्यों कफ में मक्खी बैठ पंख लिपटावे, तब तड़फ-तड़फ दुःख में ही प्राण गमावे || त्यों इन विषयन में मिली, दुखद भवफेरी … Read more

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया – Jain Bhajan

sudhasagar ji maharaj

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया, मिथ्याभ्रम का अन्धेरा विलय हो गया । दृष्टि एकान्त की ही बनी थी मेरी, और अनेकान्त से बेखबर मैं रहा स्याद्वादी सहज हो गया, ज्ञान में ज्ञान का ज्ञान अब हो गया ॥१॥ माना अपना उसे जो ना अपना हुआ, जो था अपना उसी से पराया रहा भेदविज्ञान अब हो … Read more