Advertise With Us

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में…Bhajan

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में।

बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए||

निज ज्ञान में बस ज्ञान है, ज्यों सूर्य रश्मि खान,

उपयोग में उपयोग है, क्रोधादि से दरम्यान |

इस भेद विज्ञान से, तुझे निर्णय करना है,

अपनी अनुभूति में, दिव्य दर्शन हो जाए ।।(1)

निज ज्ञान में पर ज्ञेय की, दुर्गंध है कहाँ,

निज ज्ञान की सुगंध में, ज्ञानी नहा रहा।

अभिनंदन अभिवादन, अपने द्वारा अपना,

अपने ही हाथों से, स्वयंवर हो जाए ।।(2)

जिस ज्ञान ने निज ज्ञान को, निज ज्ञान न जाना,

कैसे कहे ज्ञानी उसे, परसन्मुख बेगाना।

ज्ञेय के जानने में भी, बस ज्ञान प्रसिद्ध हुआ,

अपनी निधि अपने में, किसी को न मिल पाए||(3)

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में।

बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए||

golden divider 2

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है। 

sahi mutual fund kaise chune

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top