“जहाँ नेमी के चरण पड़े, गिरनार वो धरती है…” एक अत्यंत पवित्र और भावपूर्ण जैन भजन है, जो तीर्थराज गिरनार पर्वत और भगवान नेमिनाथ की दिव्य साधना का गौरवगान करता है। इस भजन के माध्यम से श्रद्धालु गिरनार की उस भूमि को नमन करता है, जहाँ तीर्थंकर नेमिनाथ प्रभु ने तपस्या, वैराग्य और आत्मशुद्धि की चरम सीमा तक पहुँचा कर मोक्षमार्ग को आलोकित किया।
Jain Bhajan बताता है कि गिरनार केवल एक पर्वत नहीं, बल्कि साधना, समर्पण और आत्मकल्याण की साक्षात भूमि है — जहाँ नेमी प्रभु के चरण पड़े, वह धरती स्वयं धन्य हो गई। वहाँ की प्रत्येक चोटी, हर शिला, हर पगडंडी आज भी उस वैराग्य की गाथा कहती है, जो संसार से विरक्त होकर आत्मा की शुद्धता के लिए समर्पित थी।
Bhajan Lyrics
तर्ज – ऐ मेरे दिले नादान, तू गम से न घबराना
जहाँ नेमी के चरण पड़े, गिरनार वो धरती है
वो प्रेम मूर्ती राजूल, उस पथ पर चलती है
उस कोमल काया पर, हल्दी का रंग चढ़ा
मेहंदी भी रुचीर रची, गले मंगल सुत्र पड़ा
पर मांग ना भर पायी, ये बात ही खलती है ॥ जहाँ ॥
सुन पशुओं का क्रुन्दन, तुमने तोड़े बंधन
जागा वैराग्य तभी, पा ली प्रभु पथ पावन
उस परम वैरागी से, चिर प्रीत उमड़ती है ॥ जहाँ ॥
राजूल की आंखों से, झर झर झरता पानी
अन्तर में घाव भरे, प्रभु दर्श की दीवानी
मन मन्दिर में जिसकी, तस्वीर उभरती है ॥ जहाँ ॥
नेमी जिस और गये, वही मेरा ठिकाना है
जीवन की यात्रा का, वो पथ अनजाना है
लख चरण चंद्र प्रभु के, राजूल कब रूकती है ॥ जहाँ ॥

- ये भी पढे – व्हाला आदिनाथ मे तो पकडयो तारो हाथ (Jain Bhajan)
- ये भी पढे – तुम से लागी लगन (Jain Bhajan)
- ये भी पढे – Bhagwan Mahaveer (Jain Bhajan)
- ये भी पढे – समाधि भक्ति पाठ (तेरी छत्र छाया)
- ये भी पढे – मेरे सर पर रख दो भगवन (जैन भजन)
Note
Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – जहाँ नेमी के चरण पड़े स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है।