जिनवाणी पुस्तक: आत्मज्ञान की ओर एक कदम
परिचय
भारतीय धर्मों में ज्ञान का स्थान सर्वोपरि रहा है, और जैन धर्म में तो ज्ञान को मोक्ष प्राप्ति का सीधा मार्ग माना गया है। इसी ज्ञान का मुख्य स्रोत है जिनवाणी — अर्थात् तीर्थंकरों और गणधर भगवंतों की वह दिव्य वाणी, जो आत्मा को अज्ञान से निकालकर मोक्ष के प्रकाश की ओर ले जाती है।
Jinvani Books, इन्हीं अमूल्य उपदेशों और शास्त्रों का संकलन हैं। ये पुस्तकें आज केवल पारंपरिक ग्रंथों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि डिजिटल स्वरूप में भी उपलब्ध हैं, जिससे हर व्यक्ति कहीं से भी इस पवित्र ज्ञान का लाभ ले सकता है।
जिनवाणी का वास्तविक अर्थ क्या है?
‘जिनवाणी’ शब्द दो भागों से बना है — जिन यानी विजेता (जो राग-द्वेष पर विजय प्राप्त कर चुका हो) और वाणी यानी उपदेश। यह कोई साधारण वाणी नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य संदेश है, जो आत्मा के शुद्ध स्वरूप की ओर ले जाता है।
भगवान महावीर और अन्य तीर्थंकरों के उपदेशों को गणधर भगवंतों ने शास्त्र रूप में संकलित किया। यही ग्रंथ आगे चलकर जिनवाणी पुस्तकें कहलाए।
जैन धर्म में जिनवाणी का स्थान
जैन परंपरा में जिनवाणी को ‘श्रुत ज्ञान’ माना गया है, जो कि पांच प्रकार के ज्ञानों में से एक है। इसे पढ़ना, सुनना, और उस पर मनन करना आत्मा को जाग्रत करता है। जैन दर्शन के अनुसार, सम्यक ज्ञान के बिना मोक्ष असंभव है — और सम्यक ज्ञान का मुख्य साधन यही जिनवाणी है।
जिनवाणी पुस्तकों के प्रकार
जिनवाणी पुस्तकें अनेक रूपों में उपलब्ध हैं, जैसे:
आगम ग्रंथ – भगवान महावीर के उपदेशों पर आधारित।
तत्त्वार्थ सूत्र, समयसार, गोम्मटसार – दर्शन और व्यवहार दोनों का संतुलन।
प्राकृत और संस्कृत भाषाओं के शास्त्रों की टीकाएँ।
आधुनिक संतों द्वारा आत्मा विषयक लेखन।
डिजिटल युग में जिनवाणी की भूमिका
आज का समय तकनीक का है। पुस्तकों को हाथ में लेना सभी के लिए हमेशा संभव नहीं होता, लेकिन मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर के माध्यम से इन ग्रंथों को पढ़ना अब बेहद आसान हो गया है।
ऑनलाइन जिनवाणी पुस्तकों के लाभ:
हर जगह सुलभ – भारत ही नहीं, विदेशों में बसे श्रद्धालु भी इन पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।
समय की बचत – बुकमार्क, सर्च ऑप्शन, और आसान नेविगेशन से पढ़ना सुविधाजनक हो जाता है।
युवा पीढ़ी से जुड़ाव – मोबाइल में जिनवाणी पढ़ने से युवा वर्ग भी इस ज्ञान से सहजता से जुड़ता है।
पर्यावरण की रक्षा – डिजिटल फॉर्मेट से कागज़ की आवश्यकता कम होती है, जिससे वृक्षों की कटाई रुकती है।
प्रमुख जैन पुस्तकें जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं
समयसार (आचार्य कुंदकुंद) – आत्मा और कर्म के विज्ञान का आधार।
तत्त्वार्थ सूत्र (आचार्य उमास्वामी) – जैन सिद्धांतों का सार।
गोम्मटसार (जीवकांड और कर्मकांड) – गहराई से विश्लेषण।
प्रश्नोत्तर रचनाएँ, भक्ति संग्रह, आरती संग्रह, आदि भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
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Note
Jinvani.in मे दिए गए सभी स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है।