प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार…Jain Bhajan

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तर्ज – भर दो झोली मेंरी…  प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार। पांच पदों के पैतीस अक्षर, भव-भव के काँटे चक्कर …   इसमें गर्भित है सारा आगमसर, इसके जपने से होता है भव पार। प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार। अरिहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय, … Read more

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं – Jain Bhajan

श्री वासुपूज्य चालीसा

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं ॥ मैं हूं अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझमें कुछ गंध नहीं । मैं अरस, अरूपी, अस्पर्शी, पर से कुछ भी सम्बन्ध नहीं ॥ मैं रंग-राग से भिन्न भेद से, भी मैं भिन्न निराला हूं । मैं हूं अखंड चैतन्य-पिण्ड, निज-रस में रमने वाला हूं ॥ … Read more

Yeh Sach hai ki Navkar mai – Jain Bhajan

jain bhajan

(लय – ये तो सच है की भगवान है…) ये तो सच है कि नवकार में, सब मंत्रो का ही सार है -२ इसे जो भी जपे रात दिन, होता उसका ही भव पार है। ये तो सच है कि नवकार में… अरिहंतो को भी इसमें सुमिरन किया, और सिद्धो का भी इसमें ध्यान धरा … Read more

आत्मा अनंत गुणों का धनी – Jain Bhajan

Jain Bhajan in hindi

तर्ज – रिश्तो के भी रूप बदलते है…क्योकि सास भी कभी बहू थी।  पल पल जीवन बीता जाता है, बीता फल नहीं वापस आता है । लोभ मोह में तू भरमाया है, सपनों का संसार सजाया है ।। ये सब छलावा है, ये सब भुलावा है । कर ले तू चिंतन अभी ।। क्योंकि आत्मा … Read more