भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
सत्य संयम शील का, व्यवहार हर घर द्वार हो।
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
धर्म का प्रचार हो, और देश का उद्धार हो।
और ये उजड़ा हुआ, भारत चमन गुलजार हो।
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
ज्ञान के अभ्यास से, जीवों का पूर्ण विकास हो।
धर्म के परचार से, हिंसा का जग में ह्रास हो॥
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
शान्ति अरु आनन्द का, हर एक घर में वास हो।
वीर वाणी पर सभी, संसार का विश्वास हो||
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
रोग अरु भय शोक होवे, दूर हे परमातमा।
कर सके कल्याण ज्योति, सब जगत की आतमा।
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो।
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