नित्य पूजा पीठिका | Nitya Puja Pithika
नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो […]
स्तुति अक्सर धार्मिक अथवा आध्यात्मिक सन्दर्भ में भगवान, देवी-देवताओं, गुरु, या पवित्र वस्तु के साथ की जाती है और धार्मिक पूजा और आदर के भाव से की जाती है।
नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो […]
जय-जय भगवंते सदा, मंगल मूल महान।वीतराग सर्वज्ञ प्रभु,नमौ जोरि जुगपान।। (ढाल मंगल की,छंद अडिल्ल और गीता) श्रीजिन जगमें ऐसो को
श्रीमन्नतामरशिरस्तट-रत्न-दीप्ति-तोयावभासि-चरणाम्बुज-युग्ममीशम् अर्हन्तमुन्नत-पद-प्रदमाभिनम्य, तन्मूर्तिषूद्यदभिषेक-विधिं करिष्ये ॥१॥अथ पौर्वाह्णिकदेव-वन्दनायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजा- वन्दनास्तव-समेतं श्रीपञ्चगुरुभक्ति-पुरस्सरं कायोत्सर्गं करोम्यहम् ( यह पढ़कर नौ बार णमोकार मंत्र
कविवर भूधरदास ढाल परमादी अहो जगत-गुरु! देव’ ! सुनिए अरज हमारी। तुम प्रभु दीनदयाल, मैं दुखिया संसारी ॥१॥ इस भव-वन
तुम निरखत मोकों मिली, मेरी सम्पति आज। कहाँ चक्रवति-संपदा कहाँ स्वर्ग-साम्राज ॥१॥ तुम वन्दत जिनदेव जी, नित नव मंगल होय।
कविवर बुधजन प्रभु पतित-पावन मैं अपावन चरन आयो सरन जी, यों विरद आप निहार स्वामी मेंट जामन मरन जी। तुम
मंगल गान (आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी द्वारा रचित) हे ! शान्त सन्त अरहन्त अनन्त ज्ञाता, हे ! शुद्ध-बुद्ध जिन
दर्शनं देवदेवस्य दर्शनं पापनाशनम् दर्शनं स्वर्गसोपानं दर्शनं मोक्षसाधनम् ||१|| दर्शनेन जिनेन्द्राणां साधूनां वन्दनेन च। न चिरं तिष्ठते पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम्
सखी अति पुण्य उदय मम आया, प्रभु तुमरा दर्शन पाया। अब तक तुमको बिन जाने, दुख पाये निज गुण हाने।