Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

Jain Bhajan

तुम से लागी लगन,
ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

निशदिन तुमको जपूँ,
पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,
तेरे चरणों में बीत हमारा ||टेक||

अश्वसेन के राजदुलारे,
वामा देवी के सुत प्राण प्यारे||
सबसे नेह तोड़ा,
जग से मुँह को मोड़ा,
संयम धारा ||
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

इंद्र और धरणेन्द्र भी आए,
देवी पद्मावती मंगल गाए ||
आशा पूरो सदा,
दुःख नहीं पावे कदा,
सेवक थारा ||
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

जग के दुःख की तो परवाह नहीं है,
स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है||
मेटो जामन मरण,
होवे ऐसा यतन,
पारस प्यारा ||
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ,
जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ ||
पंकज व्याकुल भया,
दर्शन बिन ये जिया लागे खारा ||
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

तुम से लागी लगन,
ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

*****

Note

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