भगवान अजितनाथ का जीवन परिचय
भगवान अजितनाथ(Ajitnath) जैन धर्म के २४ तीर्थकरो में से वर्तमान अवसर्पिणी काल के द्वितीय तीर्थंकर है। अजितनाथ का जन्म अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय राजपरिवार में माघ के शुक्ल पक्ष की अष्टमी में हुआ था। इनके पिता का नाम जितशत्रु और माता का नाम विजया था। अजितनाथ का चिह्न हाथी था। भगवान अजिताथ की कुल आयु 72 लाख पूर्व की थी।
केवल ज्ञान की प्राप्ति
अजितनाथ भगवान का इतिहास
- भगवान पार्श्वनाथ का चिन्ह- उनका चिन्ह हाथी है।
- जन्म स्थान – अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
- जन्म कल्याणक – माघ शुक्ला दसवीं
- केवल ज्ञान स्थान – अयोध्या नगरी
- दीक्षा स्थान – सहेतुक वन अयोध्या नगरी
- पिता – राजा जितशत्रु
- माता – विजयादेवी
- देहवर्ण- स्वर्ण
- भगवान का वर्ण- क्षत्रिय (इश्वाकू वंश)
- लंबाई/ ऊंचाई- ४५० धनुष (१३५० मीटर)
- आयु- ७२,००,००० बहत्तर लाख पूर्व
- वृक्ष- सप्तपर्ण वृक्ष
- यक्ष – महायक्ष
- यक्षिणी –अजितबाला
- प्रथम गणधर – श्री सिंहसेन
- गणधरों की संख्या – 90 नब्बे गणधर
🙏 अजितनाथ का निर्वाण
भगवान अजितनाथ जी का मोक्ष कल्याणक चैत्र सुदी पंचमी के दिन सम्मेद शिखरजी में हुआ था । प्रभु खडगासन कि मुद्रा में ध्यान लगाये मासखमण का उपवास कर अपने अष्टकर्मो का क्षय कर सिद्ध कहालाये और निर्वाण पा गये।
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