Shri Vardhman Stotra – श्री वर्धमान स्तोत्र
श्री वर्धमान स्तोत्र (संस्कृत) (1) अदृश्य को दिखाने वाली स्तुति श्री वर्धमान जिनदेव पदारविन्द – युग्म-स्थितांगुलिनखांशु-समूहभासि। प्रद्योततेऽखिल-सुरेन्द्रकिरीट-कोटि र्भक्त्या ‘प्रणम्य’ जिनदेव-पदं […]
श्री वर्धमान स्तोत्र (संस्कृत) (1) अदृश्य को दिखाने वाली स्तुति श्री वर्धमान जिनदेव पदारविन्द – युग्म-स्थितांगुलिनखांशु-समूहभासि। प्रद्योततेऽखिल-सुरेन्द्रकिरीट-कोटि र्भक्त्या ‘प्रणम्य’ जिनदेव-पदं […]
Aarti Shree Vidyasagar Maharaj Ji Ki विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के। आज उतारूँ आरतिया…..॥1॥ मल्लप्पा श्री,
Day 10: दसलक्षण पर्व – Uttam Brahmcharya Dharma 🙏🏼🌸 कामसेवन का मन से, वचन से तथा शरीर से परित्याग करके
Day 9: Uttam Aakinchanya Dharma🌸🙏 आत्मा के अपने गुणों के सिवाय जगत में अपनी अन्य कोई भी वस्तु नहीं है
आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मशुद्धि के उद्देश्य से विकार भाव छोड़ना राग द्वेष क्रोध मान आदि विकार भावों का आत्मा से
केवल शरीर को तपाना तप नहीं अपितु इच्छा का निरोध करना तप है। जिसप्रकार से राग-द्वेष-मोह रूप मैल भिन्न हो
स्पर्शन, रसना, घ्राण, नेत्र, कर्ण और मन पर नियंत्रण (दमन, कन्ट्रोल) करना इन्द्रिय-संयम है। पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और
मनुष्य अनेक कारणों से असत्य बोला करता है, उनमें से एक तो झूठ बोलने का प्रधान कारण लोभ है। लोभ