सलूना पूजा – Saloona Pooja
श्रीअकम्पनाचार्यादि सप्तशत मुनि पूजा चाल जोगीरासा पूज्य अकम्पन साधु-शिरोमणि सात- शतक मुनि ज्ञानी । आ हस्तिनापुर के कानन में हुये […]
श्रीअकम्पनाचार्यादि सप्तशत मुनि पूजा चाल जोगीरासा पूज्य अकम्पन साधु-शिरोमणि सात- शतक मुनि ज्ञानी । आ हस्तिनापुर के कानन में हुये […]
(दोहा) जनम-जरा-मृतु क्षय करे, हरे कुनय जड़-रीति | भवसागर सों ले तिरे, पूजे जिनवच-प्रीति || ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतीदेवि ! अत्र
कविश्री मल्ल (छप्पय छन्द) अंग-क्षमा जिन-धर्म तनों दृढ़-मूल बखानो |सम्यक्-रतन संभाल हृदय में निश्चय जानो ||तज मिथ्या-विषमूल और चित निर्मल
दोहा – विषय-रोग औषध महा, दव-कषाय जल-धार | तीर्थंकर जाको धरे सम्यक् चारित्र सार || ॐ ह्रीं त्रयोदशविध सम्यक् चारित्र! अत्र
(दोहा) पंच भेद जाके प्रकट, ज्ञेय-प्रकाशन-भान | मोह-तपन-हर चंद्रमा, सोई सम्यक्ज्ञान || ॐ ह्रीं श्री अष्टविधसम्यग्ज्ञान ! अत्र अवतर अवतर
(दोहा) सिद्ध अष्ट -गुणमय प्रगट, मुक्त-जीव-सोपान । ज्ञान चरित जिंह बिन अफल, सम्यक्दर्श प्रधान ।। ॐ ह्रीं श्री अष्टांग सम्यग्दर्शन
कविश्री द्यानतराय (दोहा) चहुँगति-फनि-विष-हरन-मणि, दु:ख-पावक जल-धार | शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहार || ॐ ह्रीं श्री सम्यक् रत्नत्रय धर्म! अत्र अवतर अवतर
कविवर ज्ञानतराय आडिल्ल उत्तम छिमा मारदव आरजव भाव है, सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं | आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम
कविवर ज्ञानतराय गीता छंद तीर्थंकरों के न्हवन जलतें भये तीरथ शर्मदा, तातें प्रदच्छन देत सुर गन पंच मेरुन की सदा